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About the Book:
‘क्षणिका’ - बिजली, मेघ द्युति जो क्षण भर के लिए चमकती है। हमारा दुर्भाग्य है कि ‘क्षणिका’, एवं ‘स्फुलिंग’ में संग्रहित गुरुदेव की लघु कविताओं का किसी भी भारतीय भाषा में अनुवाद उपलब्ध नहीं है। दोहा, चौपाई, हाइकू वगैरह लघुकाय होकर भी क्षणिका की श्रेणी में नहीं रखी जा सकतीं क्योंकि ये छंदबद्ध और नियमबद्ध रचनाएं हैं जब कि क्षणिका बंधनमुक्त रचना है, कुछ शब्दों या अधिकतम 10 12 पंक्तियों में समाहित। परवर्ती काल में अज्ञेय, धूमिल, श्रीकांत वर्मा, उमेश महादोषी, भागवत रावत जैसे कई साहित्यकारों ने इस विधा को निरंतर समृद्ध किया है। प्रस्तुत है इस महासागर में डूबने - तिरने को तत्पर ‘पंखुड़ियां.....’!
About the Author:
जन्म २१ नवंबर १९५०, गुजरात के बिलिमोरा शहर में हुआ। पिता सरकारी नौकरी में थे इसलिए प्रारंभिक वर्ष यायावरों की तरह शहर दर शहर बदलते बीते। हायस्कूल तक की शिक्षा हिंदी माध्यम से हुई। शायद साहित्य में रुचि पैदा होने का कारण यह भी रहा। नागपुर मेडिकल कॉलेज से स्नातक की उपाधि, तत्पश्चात् मुंबई के टोपीवाला मेडिकल कॉलेज से स्नातकोत्तर पदवी हासिल की। विभिन्न म्युनिसिपल एवं निजी मेडिकल कॉलेजों में विभिन्न पदों पर कार्य करते सन् 2005 में स्वेच्छा से आवकाश ग्रहण किया। लिखने की ओर रुझान कॉलेज के दिनों से ही रहा, कविता में विशेष रुचि रही। सत्तर के दशक से अब तक नियमित या अनियमित रूप से कुछ न कुछ लिखा जाता रहा। लेखन मूलतः ‘स्वांतः सुखाय’ ही रहा। प्रकाशित रचनाएं – कविता संग्रह - डायरी के पन्ने, सबरंग, बया का घर, ताना-बाना और अंधेरों के साए में।